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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि: एक प्रेरणादायक जीवन की कहानी

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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि

Dr APJ Abdul Kalam Death Anniversary 27 July 2025

Dr APJ Abdul Kalam Death Anniversary 27 July 2025

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि: भारत ने 27 जुलाई, 2015 को अपने सबसे प्रिय और प्रेरणादायक व्यक्तियों में से एक, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को खो दिया। इस दिन पूरा देश इस महान वैज्ञानिक, पूर्व राष्ट्रपति और "मिसाइल मैन" को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। डॉ. कलाम का जीवन न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी सादगी, मेहनत और देश के प्रति समर्पण ने उन्हें हर भारतीय के दिल में अमर बना दिया। आइए, हम उनकी पुण्यतिथि के महत्व, उनके जीवन की उपलब्धियों और उनकी प्रेरणादायक शिक्षाओं को जानें।


साधारण शुरुआत से असाधारण सफर

डॉ. अवुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता एक नाविक थे, और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन कलाम साहब के सपने बड़े थे। बचपन में वे अखबार बेचकर अपने परिवार की मदद करते थे, लेकिन उनकी पढ़ाई के प्रति लगन कभी कम नहीं हुई।


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रामेश्वरम के समुद्र तट पर नावों को देखते हुए उन्होंने सपना देखा कि वे एक दिन कुछ ऐसा करेंगे जो देश का नाम रोशन करेगा। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला दिलाया, जहाँ उन्होंने वैमानिकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। यहाँ से शुरू हुआ उनका वह सफर, जिसने उन्हें भारत का "मिसाइल मैन" बनाया।


वैज्ञानिक के रूप में योगदान

डॉ. कलाम का वैज्ञानिक जीवन भारत के रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में क्रांति लाने वाला रहा। वे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़े। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी भारत के मिसाइल प्रोग्राम को नई ऊँचाइयों तक ले जाना। अग्नि, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल और नाग जैसी मिसाइलों के विकास में उनकी अहम भूमिका थी।


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उन्होंने भारत को एक मज़बूत रक्षा शक्ति बनाने में योगदान दिया। 1980 में SLV-III के ज़रिए रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित करने में भी उनकी भूमिका थी। यह भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण था, जिसने देश को अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया मुकाम दिलाया।


लेकिन डॉ. कलाम सिर्फ़ मिसाइलों और उपग्रहों तक सीमित नहीं थे। उन्होंने तकनीक को आम लोगों की ज़िंदगी बेहतर बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया। उनके नेतृत्व में विकसित लाइटवेट कृत्रिम पैर (कैलीपर्स) ने कई दिव्यांग लोगों को नई उम्मीद दी। उनकी यह सोच कि विज्ञान को इंसानियत के लिए काम करना चाहिए, उन्हें और भी खास बनाती है।


भारत के 11वें राष्ट्रपति

2002 में डॉ. कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। वे पहले वैज्ञानिक थे जो इस पद तक पहुँचे। राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी उनकी सादगी और लोगों से जुड़ाव ने सबका दिल जीत लिया। वे "जनता के राष्ट्रपति" कहलाए, क्योंकि वे हमेशा आम लोगों, खासकर बच्चों और युवाओं के बीच रहना पसंद करते थे।


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राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने "विज़न 2020" का सपना देखा, जिसमें उन्होंने भारत को 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा। इस विज़न में शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीक और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों को मज़बूत करने की बात थी। वे चाहते थे कि भारत न केवल आर्थिक रूप से मज़बूत हो, बल्कि हर नागरिक का जीवन स्तर भी बेहतर हो।


युवाओं के लिए प्रेरणा

डॉ. कलाम का सबसे बड़ा योगदान था युवाओं को प्रेरित करना। वे अक्सर स्कूलों और कॉलेजों में जाते थे, जहाँ वे बच्चों से बात करते और उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उनकी किताबें, जैसे "विंग्स ऑफ फायर", "इग्नाइटेड माइंड्स" और "माय जर्नी", लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।


उनका मानना था कि सपने वो नहीं जो सोते वक़्त देखे जाते हैं, बल्कि वो हैं जो आपको सोने न दें। वे युवाओं को मेहनत, ईमानदारी और देश के प्रति समर्पण का पाठ पढ़ाते थे। उनकी एक मशहूर कहानी है, जब वे एक स्कूल में बच्चों से मिले और एक बच्चे ने उनसे पूछा कि सपने कैसे पूरे होते हैं। जवाब में उन्होंने कहा, "सपनों को सच करने के लिए पहले उन्हें देखना पड़ता है, फिर उनके लिए मेहनत करनी पड़ती है।"


पुण्यतिथि का महत्व

27 जुलाई, 2015 को डॉ. कलाम का निधन शिलांग में एक लेक्चर के दौरान हुआ। वे भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) शिलांग में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, जब उन्हें दिल का दौरा पड़ा। यह उनके जीवन का प्रतीक था कि वे आखिरी पल तक युवाओं को प्रेरित कर रहे थे। उनकी पुण्यतिथि न केवल उन्हें याद करने का दिन है, बल्कि उनके विचारों और शिक्षाओं को जीवित रखने का अवसर भी है।


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इस दिन स्कूल, कॉलेज और विभिन्न संगठन डॉ. कलाम को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं। उनके जीवन पर आधारित प्रदर्शनियाँ, सेमिनार और वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ होती हैं। लोग उनकी किताबें पढ़ते हैं, उनके विचारों पर चर्चा करते हैं और उनके दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हैं।


डॉ. कलाम की शिक्षाएँ

डॉ. कलाम की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। उनकी कुछ प्रमुख शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:


सपने देखें: उन्होंने हमेशा कहा कि बड़े सपने देखना ज़रूरी है। सपने ही आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।


मेहनत और लगन: बिना मेहनत के कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं होता। डॉ. कलाम ने अपनी ज़िंदगी में यह साबित किया कि साधारण परिस्थितियों से भी असाधारण मुकाम हासिल किया जा सकता है।


सादगी और ईमानदारी: वे हमेशा सादा जीवन जीते थे। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनकी सादगी ने लोगों का दिल जीता।


युवाओं पर भरोसा: वे मानते थे कि युवा देश का भविष्य हैं। उनकी ऊर्जा और विचारों को सही दिशा देने से देश तरक्की कर सकता है।


विज्ञान और मानवता: विज्ञान का इस्तेमाल सिर्फ़ तकनीक के लिए नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बेहतर बनाने के लिए होना चाहिए।


पुण्यतिथि पर क्या करें?

डॉ. कलाम की पुण्यतिथि को मनाने के लिए हम कई तरह से उनके प्रति सम्मान व्यक्त कर सकते हैं:


उनकी किताबें पढ़ें: उनकी आत्मकथा "विंग्स ऑफ फायर" या "इग्नाइटेड माइंड्स" पढ़कर उनके विचारों को समझें।


छात्रों को प्रेरित करें: अगर आप शिक्षक या अभिभावक हैं, तो बच्चों को डॉ. कलाम की कहानियाँ सुनाएँ। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर बच्चों को मेहनत और सपनों के महत्व के बारे में बताएँ।


विज्ञान और नवाचार को बढ़ावा दें: छोटे-छोटे विज्ञान प्रयोग या प्रोजेक्ट्स आयोजित करें, जो बच्चों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दें।


सामाजिक कार्य करें: डॉ. कलाम हमेशा समाज के लिए कुछ करने की बात कहते थे। उनकी याद में कोई छोटा सा सामाजिक कार्य, जैसे पौधरोपण या किताब दान, करें।


उनके विचारों को साझा करें: सोशल मीडिया या अपने दोस्तों के बीच उनके प्रेरणादायक विचार साझा करें।


डॉ. कलाम का प्रभाव

डॉ. कलाम का प्रभाव सिर्फ़ भारत तक सीमित नहीं है। उनकी किताबें और विचार दुनिया भर में पढ़े और समझे जाते हैं। वे उन गिने-चुने लोगों में से थे, जिन्होंने सादगी और मेहनत से दुनिया को दिखाया कि असंभव को संभव बनाया जा सकता है।


उनके निधन के बाद भी उनकी विरासत ज़िंदा है। स्कूलों में उनके नाम पर छात्रवृत्तियाँ दी जाती हैं, और कई संस्थान उनके नाम पर काम कर रहे हैं। उनकी पुण्यतिथि हमें याद दिलाती है कि एक व्यक्ति अपने विचारों और कर्मों से कितना बड़ा बदलाव ला सकता है।


डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि केवल एक दिन नहीं है, बल्कि यह एक अवसर है उनके जीवन, उनके सपनों और उनकी शिक्षाओं को फिर से जीने का। वे एक वैज्ञानिक, राष्ट्रपति और शिक्षक से कहीं ज़्यादा थे - वे एक प्रेरणा थे। उनकी सादगी, मेहनत और देश के प्रति समर्पण हमें सिखाता है कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, बशर्ते उसे पूरा करने की इच्छा हो।


27 जुलाई को जब हम उन्हें याद करते हैं, तो आइए, उनके दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प लें। चाहे वह विज्ञान के क्षेत्र में योगदान देना हो, युवाओं को प्रेरित करना हो या समाज के लिए कुछ करना हो, हर छोटा कदम हमें उनके विज़न के करीब ले जाएगा। डॉ. कलाम आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार और उनकी प्रेरणा हमेशा हमारे साथ हैं। उनकी पुण्यतिथि पर, आइए, हम सब मिलकर उनके सपनों को साकार करने की दिशा में एक कदम बढ़ाएँ।


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